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सिविल सर्विसेज में आपको लोगो के लिए काम करने का ऑथोरिटी और अपॉर्च्युनिटी दोनों मिलता: IAS लक्ष्मण तिवारी

दुर्ग (सारनाथ एक्सप्रेस)। मैं ग्रामीण परिवेश में पला बढ़ा और पढ़ा लिखा हूँ। गांव के किसान, महिलाओं, बच्चों और गरीब परिवार की समस्याओं को बहुत नजदीक से देखा है। तभी से मुझे इनके लिए कुछ करने का इच्छा जागृत हुई थी। मेरा चयन भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में हुआ था लेकिन मैं भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में जाना चाहता था क्योंकि वहां समाज के हर तबके के लोगो के लिए काम करने का अवसर मिलता है। आईपीएस भी एक बहुत बड़ी ऑपर्च्युनिटी है लेकिन उसमें सुरक्षा व्यवस्था से सम्बंधित काम ज्यादा है जबकि आईएएस में आप समाज के हर वर्ग के लोगो के लिये काम कर सकते है। मैं अपने परिवार और गावँ से पहला व्यक्ति हूँ जो इस पोस्ट पर चयनित हुआ हूँ। ये सब बातें दुर्ग जिला में नवपदस्थ तेजतर्रार सहायक कलेक्टर लक्ष्मण तिवारी ने सारनाथ एक्सप्रेस से विशेष बातचीत में कही। इन्होंने अपने अब तक के सफर को हमसे साझा किया….
आईएएस लक्ष्मण तिवारी मूलतः बिहार के सिवान जिला के ग्राम सैदपुरा से है। इनकी प्रारम्भिक और हायर सेकेंडरी तक कि शिक्षा  जेपीजे स्कूल, सिवान में हुई। वर्ष 2018 में इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीतिक विज्ञान में बीए ऑनर्स की डिग्री हासिल किया। अपने पहले ही प्रयास में महज 22 वर्ष की आयु में इन्होंने 2019 बैच में 176 रैंक के साथ भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के लिए चयनित हुए। आईपीएस ट्रेनिंग के बाद इन्हें पश्चिम बंगाल कैडर मिला और इन्होंने वहा कुछ ही दिन अपनी सेवा दी। वर्ष 2021 में 71वे रैंक के साथ इनका चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के लिए हुआ और इन्हें छत्तीसगढ़ कैडर मिला। मसूरी ट्रेनिंग और रायपुर ट्रेनिंग के बाद इनकी पहली पोस्टिंग सहायक कलेक्टर के पद पर दुर्ग जिला में हुई है, वर्तमान में ये नगर पालिक निगम दुर्ग के प्रशिक्षु आयुक्त के प्रभार में है।
बैडमिंटन, रनिंग, जिमिंग और एडवेंचर ट्रेवलिंग में विशेष रुचि रखने और स्वामी विवेकानंद जी के किताबे पढ़कर एनर्जी लेने वाले युवा तेजतर्रार आईएएस लक्ष्मण तिवारी ने बताया कि मसूरी ट्रेनिंग बहुत ही आइडल तरीके से दी जाती है। जिसमे समाज के उत्थान के लिए, पीड़ित, शोषित, गरीबो के भलाई के लिए काम करने की जानकारी दी जाती है। ट्रेनिंग में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी हमे स्पीच दिया था जिसमे उन्होंने कहा कि समाज, राज्य और राष्ट्र लेबल पर सोचकर काम करे, प्लानिंग करें।

छत्तीसगढ़ दर्शन के दौरान हमे जशपुर, अम्बिकापुर, सरगुजा, नारायणपुर और बस्तर ले जाया गया। बस्तर वास्तव में बहुत ही सुंदर है। छत्तीसगढ़ में काम करने के लिए बहुत से स्कोप है। चूंकि  अभी मैं ट्रेनिंग में हूँ तो सीनियर्स अधिकारियों का बहुत सपोर्ट मिलता है, कलेक्टर सर और रोहित सर का पूरा मार्गदर्शन मिल रहा है। मुझे यहां गावँ और शहर दोनों जगह काम करने का मौका मिल रहा है।
आईपीएस की भी बहुत जिम्मेदारी भरी नौकरी है लेकिन मैं आम जनता के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, महिलाएं, बच्चों, बुजुर्गों आदि के लिए काम करना चाहता था इसलिए मैं आईएएस बना। सिविल सर्विसेज ऐसी जॉब है कि आप सबके लिए कुछ न कुछ कर सकते है, इसमे आपको ऑथोरिटी और अपॉर्च्युनिटी दोनों मिलता है। लोगो को ज्यादा से ज्यादा समय दे सकू, उनकी समस्याओं को समाधान कर सकूं, उनको शासन की योजनाओं का लाभ दिला सकू यही उद्देश्य रहता है।
जो प्रतिभागी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां कर रहे है उन्हें मैं यही संदेश दूंगा की सबसे पहले आप अपने ऊपर विश्वास करें कि आप कर सकते है क्योंकि बहुत से लोगो को लगता है कि वह नही कर पाएंगे, जिसके कारण वो पहले ही नर्वस हो जाते है। मैने अपने पहले ही प्रयास में यह कर दिखाया है।

पढ़ाई के दौरान सही चीजे पढ़े, कम पढ़े पर सही चीज पढ़े। बार बार रिवीजन करें। सबसे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट है कि क्या पढ़े इसलिए प्लानिंग करके पढ़े, रोज पढ़ने के लिए समय निकाले इसी को अपना धर्म बना ले और जी जान से जुट जाएं, सफलता आवश्यक मिलेगी। सिविल सर्विसेज का एग्जाम बहुत फेयर है जिसमे काबलियत होगी वही सफल होता है। आत्म विश्वास बनाये रखना, सही जगह से गाइडेंस लेना भी जरूरी है। फेलियर्स और अपने गलतियों से सीख ले और वो गलतियां दोबारा ना करे।
दुर्ग-भिलाई और छत्तीसगढ़ के बच्चों को भी अच्छे से तैयारी करके इस फील्ड में अधिक से अधिक आगे आना चाहिए। राज्य सरकार द्वारा बहुत से स्किम चलाया जा रहा है, उसका लाभ लेना चाहिए, अगर किसी को जरूरत हो तो मुझसे भी आकर पूछ सकता है, मेरा प्रयास रहता है कि ज्यादा से ज्यादा लोगो को मार्गदर्शन दे सकू।

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