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लोगों को पुलिस से डरने की जरूरत नहीं हम जनता के सेवक हैं, बेझिझक होकर अपनी शिकायत हमें बताएं : IPS शलभ सिन्हा

दुर्ग। बेसिक पुलिसिंग मेरा मुख्य उद्देश्य रहता है, मैं अपने अधीनस्थ कर्मचारी आरक्षक से लेकर निरीक्षण तक को हर वो सुविधाएं, माहौल और मार्गदर्शन उपलब्ध करा सकू जिससे कि उनको काम करने में कोई दिक्कत न हो सके, वो अपना बेस्ट दे सके अगर वो अपना बेस्ट करेंगे तो बेसिक पुलिसिंग अच्छी होगी। यह सब बातें दुर्ग जिला के नवपदस्थ पुलिस अधीक्षक शलभ कुमार सिन्हा ने सारनाथ एक्सप्रेस से विशेष बातचीत में कही। इन्होंने अपने अब तक के सफर को हमसे साझा किया….

एसपी शलभ कुमार सिन्हा का जन्म छत्तीसगढ़ के जशपुर जिला के बगीचा तहसील में हुआ था। इनके पिताजी कोल् इंडिया में कार्यरत थे। इनकी प्रारंभिक शिक्षा (तीसरी तक) डीएवी स्कूल विश्रामपुर में हुई। कक्षा चौथी से बारहवीं तक की शिक्षा इन्होंने डीएवी स्कूल कुसमुंडा (कोरबा) में प्राप्त किया। वर्ष 2002 में इन्होंने सीजीपीईटी एग्जाम दिया और इनका चयन मैकेनिकल ब्रांच के लिए रायपुर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में हुआ। वर्ष 2006 में इन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल किया और कैम्पस सलेक्शन में इनका चयन बालको कम्पनी में असिस्टेंट मैनेजर के पद हुआ।

करीब 18 वर्ष कोरबा में रहने के बाद इनके पिताजी कोल् इंडिया से रिटायर्ड हुए और इनका परिवार अम्बिकापुर में बस गया। बालको में नौकरी के दौरान ही वहां वर्ष 2009 में चिमनी हादसा हुआ था उसी दौरान उस घटना की जांच के लिए कई आईएएस-आईपीएस अफसर वहां आते थे। उन अफसरों की कार्यशैली देखकर यह बहुत प्रभावित हुए और सिविल सर्विसेज में जाने का निर्णय किया। वर्ष 2010 में इन्होंने बालको की नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी करने दिल्ली चले गए। वर्ष 2014 में इन्होंने अपने चौथे प्रयास में आईपीएस के लिए चयनित हुए।ट्रेनिंग के बाद डिस्ट्रिक ट्रेनिंग के लिए इन्हें दुर्ग जिला मिला। डिस्ट्रिक ट्रेनिग के दौरान दुर्ग जिला के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मयंक श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में इन्होंने कई अवैध कार्यो पर रेड कार्यवाही को लीड किया। इनकी पहली पोस्टिंग सीएसपी कोतवाली, बिलासपुर के पद पर हुई जहां इन्होंने करीब पंद्रह माह तक अपनी सेवाएं दी।

इसके बाद इन्हें अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, सुकमा की जिम्मेदारी दी गई जहाँ इन्होंने 15 माह तक अपनी सेवाएं दी,फिर इन्हें जून 2019 में पुलिस अधीक्षक, सुकमा की जिम्मेदारी दी गई। एएसपी सुकमा और एसपी सुकमा रहते हुए 150 से ज्यादा नक्सलियों को आत्मसमर्पण कराये जिसमे 15 हार्डकोर नक्सली भी शामिल थे इसमें इनकी अहम भूमिका रही। सुकमा पदस्थापना के दौरान वर्ष 2018 में 54, 2019 में 23 तथा वर्ष 2020 में 11 नक्सली मुठभेड़ में मारे गए थे। इन्होंने कई ऑपरेशन को लीड भी किया था। सुकमा पुलिस अधीक्षक के पद पर इन्होंने अक्टूबर 2020 तक अपनी सेवाएं दी। अक्टूबर 2020 से इन्हें कबीरधाम जिले का पुलिस अधीक्षक नियुक्त किया गया, इसके बाद इन्हे कांकेर जिला का पुलिस अधीक्षक नियुक्त किया गया और अब इन्हे मई 2023 में वीवीआईपी जिला दुर्ग की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है।

एसपी शलभ कुमार सिन्हा ने बताया कि छत्तीसगढ़ के जिस परिवेश में मैं पला-बढ़ा, पढ़ाई किया वहां ना कोई रिश्तेदार, ना कोई दोस्त और ना ही आस-पास कोई सिविल सर्विसेज की तैयारी करता था। मैंने जब बालको की नौकरी छोड़ कर यूपीएससी की तैयारी करने दिल्ली जाने का निर्णय लिया तब मुझे कई लोगो ने अपने निर्णय पर दोबारा सोचने के लिए कहा पर मैंने दिमाग मे बैठा लिया था कि अगर मेहनत किया जाए तो हर चीज़ आसान हो सकती है और सफलता मिल सकती है। मैंने मेहनत किया और मुझे सफलता मिली मैं आईपीएस के लिए चयनित हुआ। आईपीएस चयनित होकर मैं काफी संतुष्ट हु की मैं समाज और देश के लिए काफी कुछ कर सकता हु और मुझे होम कैडर छत्तीसगढ़ मिला तो वो मेरे लिए अच्छा रहा। जब मेरा चयन आईपीएस के लिए हुआ तब मुझे बताया गया कि मैं कोरबा का पहला सिविल सर्विसेज में सेलेक्ट होने वाला व्यक्ति हु। उस वक्त तक वहां कोई भी चयनित नही हुआ था।

यूपीएससी की तैयारी करने वाले युवाओं को मैं यही सलाह दूंगा की उनको 100% फोकस यही रखना होगा कि इसके अलावा किसी और चीज़ पर ध्यान न दे। उनके लिए एकमात्र यही काम होना चाहिए। अब तैयारी करने के लिए दिल्ली जाने की जरूरत नही है अब बहुत से माध्यम तैयारी करने के लिए आ गई है। देश के सबसे टफ एग्जामों में से यह एक है लेकिन कड़ी मेहनत किया जाए तो सफलता जरूर मिलती है। बहुत सारे अलग-अलग किताबे पढ़ने की जरूरत नही है कम किताबे पढ़े पर उसका रिवीजन लगातार होना चाहिए। ऐसा होता है कि हम बहुत सारे किताब पढ़ लेते है और दिमाग मे बैठता ही नही है इसके लिए रिवीजन करना बहुत जरूरी है। लक्ष्य निर्धारित करके चले तो सफलता जरूर मिलती है।

संगीत सुनने, किताबे (उपन्यास) पढ़ने और महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होने वाले और महात्मा गांधी की किताबें पढ़ने वाले एसपी शलभ कुमार सिन्हा स्कूल के दिनों में हर एक्टिविटी में भाग लिया करते थे। क्विज में इनकी बहुत रुचि रही। इन्होंने कई इंटरस्कूल क्विज प्रतियोगिता में भाग लिया जिसमे कई बार विजेता और उपविजेता रहे जिसके लिए इन्हें कई बार पुरस्कृत किया गया। दुर्ग जिले से इनका दोहरा रिश्ता रहा है उनका ननिहाल नंदनी में था तो वह अपनी मां के साथ नंदनी आया करते थे।

दुर्ग पोस्टिंग पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए एसपी शलभ सिन्हा ने कहा कि आम नागरिक बेझिझक होकर अपनी बाते या शिकायतें हमें बता सकता है व्हाट्सएप सोशल मीडिया कॉल के माध्यम से अपनी परेशानियों शिकायतों को हम तक पहुंचा सकते हैं लोगों को पुलिस से डरने की जरूरत नहीं है हम जनता के सेवक हैं। अपराध को रोकने के साथ ही घटित अपराधों का निराकरण किया जाने पर उनका फोकस रहेगा आम लोगों से पुलिस का संपर्क बढ़ाने के लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भी चौपाल लगाई जाएगी उन्होंने दावा किया कि वीआईपी जिला होने की वजह से कानून व्यवस्था को बेहतर रखने का हर संभव प्रयास किया जाएगा उन्होंने पुलिस अधिकारियों कर्मचारियों से बैठक के दौरान परिचय प्राप्त करते हुए जिले के संवेदनशील क्षेत्रों और अपराधों के बारे में जानकारी हासिल की।

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