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राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने जारी किए जीडीपी के आंकड़े: उम्मीद से बेहतर रही रफ्तार, आर्थिक वृद्धि दर 7 फीसदी के पार

प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था से काफी उम्मीदें की जा रही थीं. यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी पहले ही मंदी की चपेट में आ चुकी है…

नईदिल्ली (ए)। भारतीय अर्थव्यवस्था ने प्रतिकूल वैश्विक हालातों के बाद भी पिछले वित्त वर्ष में शानदार प्रदर्शन किया. बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार जीडीपी की ग्रोथ रेट अनुमानों से बेहतर रही. आंकड़ों के अनुसार, मार्च तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था ने 6.1 फीसदी की दर से वृद्धि की, जबकि पूरे वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर 7.2 फीसदी रही। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने बुधवार की शाम में जीडीपी ग्रोथ रेट के आधिकारिक आंकड़ों को जारी किया. आंकड़ों के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था ने मार्च तिमाही के दौरान शानदार प्रदर्शन किया. जीडीपी कह ग्रोथ रेट इससे पहले दिसंबर तिमाही के दौरान 4.5 फीसदी की रही थी। मार्च तिमाही में लगभग सभी सेक्टर ने अच्छा प्रदर्शन किया. कृषि क्षेत्र में में जहां 5.5 फीसदी की दर से वृद्धि दर्ज की गई, वहीं यह दर विनिर्माण क्षेत्र के लिए 4.5 फीसदी रही।

भारतीय अर्थव्यवस्था से प्रतिकूल हालातों में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही थी. फरवरी 2023 में जारी फिस्कल पॉलिसी स्टेटमेंट में कहा गया था कि वित्त वर्ष 2022-23 में नॉमिनल जीडीपी की ग्रोथ रेट सालाना आधार पर 15.4 फीसदी रह सकती है. साल भर पहले यानी 2021-22 में नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ रेट 19.5 फीसदी रही थी. वहीं रियल जीडीपी ग्रोथ रेट के 7 फीसदी रहने का अनुमान था, जो साल भर पहले 8.7 फीसदी रही थी।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सालाना रिपोर्ट में कहा था कि पिछले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7 फीसदी से कुछ ज्यादा रह सकती है. उन्होंने कहा था कि रिजर्व बैंक जिन हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स की निगरानी करता है, उनमें से करीब 70 ने मजबूती का संकेत दिया था. सेंट्रल बैंक ने मार्च तिमाही के दौरान जीडीपी ग्रोथ रेट 5.1 फीसदी रहने का अनुमान दिया था।

हालांकि जीडीपी के आंकड़ों से पहले भारत को औद्योगिक उत्पादन के मोर्चे पर झटका लगा है. अप्रैल में आठ प्रमुख उद्योगों की बढ़ने की दर कुछ कम हुई है. वहीं दूसरी ओर राजकोषीय घाटा सरकार के अनुमान के दायरे में रहा है।

एनएसओ के द्वारा जीडीपी के आंकड़े जारी किए जाने से पहले राजकोषीय घाटे के आंकड़े जारी किए गए. आंकड़ों के अनुसार, केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा बीते वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी के 6.4 फीसदी के बराबर रहा. वित्त मंत्रालय के संशोधित अनुमान में भी राजकोषीय घाटा इतना ही रहने का लक्ष्य रखा गया था. सीजीए ने केंद्र सरकार के 2022-23 के आय-व्यय का आंकड़ा जारी करते हुए कहा कि मूल्य के हिसाब से राजकोषीय घाटा 17,33,131 करोड़ रुपये रहा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने एक फरवरी को पेश आम बजट में 2023-24 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.9 फीसदी पर सीमित करने का लक्ष्य रखा था।

आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल महीने के दौरान यह घाटा 1.34 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो पूरे साल के टारगेट के 7.5 फीसदी के बराबर है. यह साल भर पहले यानी अप्रैल 2022 की तुलना में ज्यादा है. पिछले साल अप्रैल में राजकोषीय घाटा पूरे साल के टारगेट के 4.5 फीसदी के बराबर रहा था।

औद्योगिक उत्पादन की बात करें तो अप्रैल महीने में हल्का झटका लगा है. अप्रैल महीने के दौरान सालाना आधार पर आठ मुख्य उद्योगों की वृद्धि दर 3.5 फीसदी रही. इन मुख्य उद्योगों के सूचकांक में मार्च महीने के दौरान 3.6 फीसदी की वृद्धि आई थी. वहीं पूरे वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान आठ प्रमुख उद्योगों ने 7.7 फीसदी की दर से वृद्धि की, जिसकी दर साल भर पहले यानी 2021-22 के दौरान 10.4 फीसदी रही थी।

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