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सभी लोगो से सीखने की कोशिश करता हूं, हर किसी से सीखने को मिलता है : IPS जितेन्द्र शुक्ला

दुर्ग (सारनाथ एक्सप्रेस)। मैं मूलतः इलाहाबाद अब प्रयागराज (उत्तरप्रदेश) से हूं और उत्तरप्रदेश में मिडिल क्लास के फैमिली के बच्चों का एक ही सपना होता है कि कड़ी मेहनत कर सिविल सर्विसेज एग्जाम पास करे और सोसायटी में नाम कमा कर ऊपर जा सकते है। यह सब बातें दुर्ग जिला में नवपदस्थ पुलिस अधीक्षक और छत्तीसगढ़ के तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी जितेन्द्र शुक्ला ने सारनाथ एक्सप्रेस से विशेष बातचीत में कही। इन्होंने अपने अब तक के सफर को हमसे साझा किया…

पुलिस अधीक्षक जितेंद्र शुक्ला का जन्म इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था। इन्होंने अपनी माध्यमिक शिक्षा सरस्वती विद्या मंदिर, इलाहाबाद में पूरी की। हाईस्कूल और हायरसेकंडरी तक कि शिक्षा गवर्मेंट इंटर कॉलेज से पूरी की। वर्ष 2003 में इन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से आर्ट्स (जियोग्राफी) में स्नातक किया और यही से वर्ष 2005 में इन्होंने आर्ट्स में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल किया।

पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी। वर्ष 2006 में इन्होंने पहली यूपीएससी की परीक्षा दी लेकिन इनका चयन नही हो पाया। वर्ष 2009 में इन्होंने पुनः यूपीएससी की परीक्षा दी लेकिन इनका चयन नही हुआ लेकिन इसी वर्ष यूपी पीएससी में इनका चयन ट्रेजरी ऑफिसर के पद पर हुआ, जहां इन्होंने एक वर्ष तक अपनी सेवाएं दी।

वर्ष 2010 के यूपीएससी में यह इंटरव्यू तक पहुंचे। इतने कोशिशो के बाद भी इन्होंने हार नही मानी और तैयारी में जुटे रहे। वर्ष 2012 में इनका चयन आईपीएस के लिए हुआ। ट्रेनिंग के बाद इन्हें डिस्ट्रिक ट्रेनिंग बिलासपुर में करने के बाद पश्चात इनकी पहली पोस्टिंग सितंबर 2015 में अम्बिकापुर सीएसपी के पद पर हुई जहां इन्होंने मई 2016 तक अपनी सेवाएं दी। मई 2016 में इन्हें अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (नक्सल ऑपरेशन) सुकमा की जिम्मेदारी दी गई जहां इन्होंने जनवरी 2018 तक अपनी सेवाएं दी।

जनवरी 2018 में इन्हें पुलिस अधीक्षक, नारायणपुर की अहम जिम्मेदारी दी गई जहां दिसम्बर 2018 तक अपनी सेवाएं दी। जनवरी 2019 में इन्हें पुलिस अधीक्षक, सुकमा की जिम्मेदारी दी गई जहां यह मार्च 2019 तक पदस्थ रहे। मार्च 2019 से अगस्त 2019 तक इन्हें पुलिस मुख्यालय में सहायक पुलिस महानिरिक्षक, भर्ती चयन एवं लेखा कल्याण के पद पर पदस्त किया गया।

अगस्त 2019 से मार्च 2020 तक यह पुलिस अधीक्षक महासमुंद के पद पर रहे। मार्च 2020 से अगस्त 2020 तक पुलिस अधीक्षक, राजनांदगांव रहे। इसके बाद इन्हे सत्रहवीं बटालियन कवर्धा के कमांडेंट और फिर सोलहवीं बटालियन नारायणपुर के कमांडेंड की जिम्मेदारी दी गई। अक्टूबर 2023 के विधानसभा चुनाव के समय चुनाव आयोग ने इन्हे पुलिस अधीक्षक कोरबा की जिम्मेदारी सौंपी। इनके नेतृत्व में शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव सम्पन्न हुआ। इसके बाद राज्य सरकार ने इन्हे फरवरी 2024 में पुलिस अधीक्षक दुर्ग की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है।

नक्सली क्षेत्र में पदस्थापना के दौरान सराहनीय कार्य किये। एएसपी सुकमा रहते हुए वर्ष 2016 को सबसे सफल वर्ष माना जाता है उस वर्ष पुलिस को बहुत की कम क्षति हुई थी। एसपी नारायणपुर रहते हुए चार नक्सली मारे गए और हथियार बरामद हुए।

एसपी राजनांदगांव रहते हुए दो एनकाउंटर हुए जिसमे चार नक्सली मारे गए, घायल नक्सली पकड़ाए, 8 लाख का ईनामी नक्सली मारा गया और बड़ी मात्रा में हथियार बरामद हुए थे। पुलिस मुख्यालय में एआईजी एकाउंट वेलफेयर के पद पर रहते हुए इन्होंने पुलिसकर्मियों के बच्चों के लिए पुलिस पब्लिक स्कूल, रायपुर की शुरुआत जून 2019 में हुई। स्कूल के शुरू होने इनकी अहम भूमिका। पुलिस पब्लिक स्कूल को सीबीएससी मान्यता मिली और उस स्कूल में करीब 600 बच्चे अध्ययनरत है। पुलिस पब्लिक स्कूल में 50% पुलिसकर्मियों के बच्चों के लिए आरक्षित है और 50% ओपन रखा गया। पुलिस पब्लिक स्कूल के यह सेक्रेटरी भी है।

पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र शुक्ला ने बताया कि पुलिस की वर्दी शुरू से पसंद थी, पुलिस विभाग में आने का यह भी एक कारण है। मैं जहां भी पदस्त रहा या रहूंगा वहां मैं दो ही उद्देश्य लेकर काम करता हु ओर करूंगा पहला की पुलिस की छबि सुधारना क्योंकि पुलिस बहुत मेहनत करती है उसके बाद भी पुलिस की छबि अच्छी नही रहती है इसके लिए हमे ईमानदारी से समाज और देश के लिए काम करना है। दूसरा की पब्लिक को कैसी पुलिसिंग चाहिए उस पर हमको खड़ा उतरना है। बेसिक पुलिसिंग पर ध्यान देने की जरूरत है। मैं सभी लोगो से सीखने की कोशिश करता हु, हर किसी से सीखने को मिलता है।

तीन साल नक्सली क्षेत्र में रहने के दौरान कई ऑपरेशन में भाग लिया और लीड भी किया। छत्तीसगढ़ पुलिस का पार्ट होकर नक्सली क्षेत्र में काम नही किये तो कुछ नही किये। यहाँ नक्सल मेन समस्या है, इसको दूर करने की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ पुलिस की है।

यूपीएससी की तैयारी कर रहे युवाओं को मेरा यही सलाह है कि ईमानदारी और लक्ष्य के प्रति लग्न यही दो तरीके है कि आप सफलता पा सकते है। इन दोनों से अलग हटकर कुछ भी नही हो सकता बाकी सब चीजें एक दूसरे से जुड़ी हुई है। अगर आप ईनामदार है तो आत्ममूल्यांकन खुद का करे कि आप कितना पढ़ रहे है। आपका कंपटीशन आप से होता है दूसरे से नही होता। आप अपनी कमियां दूर करते है तब आप सेलेक्ट होते है अगर आप ईमानदार है तो आपको सब चीजें समझ आती है। आज कल यह सब हो गया है लोग दूसरे की गलतियां ढूढते है अपनी कमियों पर फोकस नही करते है। क्रिकेट खेलना और पुलिसिंग इनकी विशेष रुचि है। इनके बड़े पिताजी भी पुलिस में थे। इनके चचेरे बड़े भाई सीआरपीएफ में असिस्टेंट कमान्डेंट है।

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