शनिवार की सुबह एक हमलावर ने सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की गोली मारकर हत्या कर दी। इस दौरान, इन जजों के एक अंगरक्षक भी घायल हो गया। वहीं, हमलावर ने खुद को भी गोली मारकर आत्महत्या कर ली। ईरानी मीडिया ने यह जानकारी दी…
नईदिल्ली (ए)। तेहरान में शनिवार को एक बंदूकधारी ने सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की गोली मारकर हत्या कर दी। ईरान के सरकारी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ये दोनों सख्त फैसले लेने वाले रूढ़िवादी जज माने जाते थे। दोनों जज कथित तौर पर 1988 में सरकार और व्यवस्था से असहमति रखने वालों (जैसे राजनीतिक कैदी, कार्यकर्ता और विपक्षी समूह) को सामूहिक तौर पर फांसी देने के मामलों भी शामिल थे।
जिन जजों की हत्या की गई है, उनकी पहचान मोहम्मद मोगीसेह और अली रजिनी के रूप में हुई है। किसी भी समूह ने अब तक इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। साल 1999 में भी रजिनी की हत्या का प्रयास हुआ था।मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने रजिनी के वाहन पर विस्फोटक फेंका था, जिसमें वह घायल हो गए थे।
समाचार एजेंसी आईआरएनए के मुताबिक, इन दोनों जजों पर हमले के दौरान उनके एक अंगरक्षक को भी गोली लगी। बाद में हमलावर ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि हमलावर का सुप्रीम कोर्ट में कोई मामला लंबित नहीं था।
1988 का नरसंहार क्या है?
ईरान और ईराक के बीच आठ साल चला युद्ध साल 1988 में समाप्त हुआ था। रुहोल्ला खामेनेई ने संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में युद्धविराम को स्वीकार किया था। तभी निर्वासित ईरानी विपक्षी समूह मुजाहिदीन-ए-खल्क (एमईके) ने अचानक ईरान की सीमा पर धावा बोल दिया था। यह समूह भारी हथियारों से लैस था।
आखिरकार ईरान ने इस हमले को नाकाम किया। लेकिन इस हमले ने कई राजनीतिक कैदियों, कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाने की नींव रखी। इसके बाद इन लोगों को सामूहिक फांसी का आदेश दिया। अंतरराष्ट्रीय अधिकार समूहों के मुताबिक, करीब पांच हजार लोगों को यह सजा दी गई। वहीं, एक ईरानी विपक्षी समूह मुजाहिदीन-ए-खल्क (एमईके) का दावा है कि 30 हजार लोग मारे गए।
हालांकि, ईरान ने कभी इन हत्याओं की बात को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया, जो संभवत: रुहोल्ला खामेनेई के आदेश पर की गई थीं। हालांकि, कुछ लोग मानते हैं कि 1989 में रुहोल्ला खामेनेई के मरने से पहले कुछ और बड़े अधिकारी इन हत्याओं के लिए जिम्मेदार थे। मुजाहिदीन-ए-खल्क ने इस मामले पर तत्काल टिप्पणी नहीं की।