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कानून व्यवस्था बनाए रखना और अपराधियों पर नकेल कसना ही मेरा मुख्य उद्देश्य: IPS रामगोपाल गर्ग

भिलाई (सारनाथ एक्सप्रेस)। मेरे माता-पिता पढ़ें लिखे नहीं थे लेकिन उन्होंने हम पांचों भाई- बहन को अच्छी शिक्षा दी। पिताजी की एक छोटी सी किराना की दुकान थी, उतना इनकम नही था कि हम लोगों को अच्छी शिक्षा दे सके इसके लिए उन्होंने लोन लेकर हम लोगों को पढ़ाया और आज हम सभी भाई बहन पोस्ट ग्रेजुएट है। एक भाई बैंक में मैनेजर के पद पर पदस्थ है और एक सिस्टर लेक्चरर है। मैं उन्हीं की बदौलत आज इस मुकाम पर पहुंचा हूं। आईजी रामगोपाल गर्ग जहां जहां पदस्थ रहे, उनकी धर्मपत्नी वहां वहां उनके साथ रही है और उन्हें हमेशा प्रेरित करती रहती है। उनका एक पांच साल का सुपुत्र है। यह सब बातें दुर्ग रेंज पुलिस महानिरीक्षक रामगोपाल गर्ग ने सारनाथ एक्सप्रेस के संपादक से विशेष बातचीत में कही। उन्होंने अपने अब तक के सफर को हमसे साझा किया।

आईजी रामगोपाल गर्ग की प्रारंभिक एवं हाई स्कूल तक की शिक्षा पंजाब राज्य के भटिंडा के एक साधारण से पंजाबी स्कूली में हुई। शासकीय कॉलेज से उन्होंने फिजिक्स केमिस्ट्री और मैथ्स विषय में ग्यारहवीं और बारहवीं तक की शिक्षा पूरी की। वर्ष 1997 से 2001 तक इन्होंने थापर इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, पटियाला से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन ब्रांच में इंजीनियरिंग की, टॉपर होने लिए उन्हें गोल्ड मेडल देकर पुरस्कृत किया गया।

वर्ष 2001 में उन्होंने मोटोरोला कंपनी में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर, बंगलुरू में नौकरी की, जहां उन्होंने वर्ष 2003 तक अपनी सेवाएं दी। नौकरी के कारण यूपीएससी की परीक्षा के तैयारी के लिए समय नहीं मिलने के करने उन्होंने नौकरी छोड़ दिया और पूरी तरह परीक्षा की तैयारी में जुट गए। पहले साल में उन्होंने पटियाला में ही जनरल स्टडी की कोचिंग भी की। वर्ष 2007 में अपने तीसरे प्रयास में ही उनका चयन भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के लिए हुआ। इनका विषय पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (लोक प्रशासन) और मैथ्स (गणित) था। वर्ष 2007 में ही उन्होंने कैट का एग्जाम भी उत्तीर्ण किया था जिससे उन्हें आई आई एम, कोलकाता में एडमिशन भी मिल गया था, परंतु उन्होने सिविल सर्विस सर्विसेस को चुना।
नेशनल पुलिस एकेडमी, हैदराबाद में ट्रेनिंग के बाद उन्हें दिसम्बर 2008 में छत्तीसगढ़ कैडर अलॉट हुआ।

छत्तीसगढ़ आने के बाद उन्हें ट्रेनिंग जिला राजनांदगांव मिला। राजनांदगांव के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक स्व. विनोद चौबे उनके पुलिस अधीक्षक रहे जो 12 जुलाई 2009 की मदनवाडा नक्सली घटना में शहीद हो गये थे। फिर गर्ग का तबादला बीजापुर हुआ, जहां जून 2010 से मई 2011 तक एसडीओपी बीजापुर के पद पर पदस्थ रहे। बतौर पुलिस अधीक्षक उनका पहला जिला गरियाबंद रहा, जहां उन्होंने मई 2011 से अगस्त 2013 तक अपनी सेवाएं दी। इस दौरान उनके कार्यकाल में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों और जंगलों में छह नए पुलिस थाना शुरू किया गया। जिससे नक्सली वारदातों में कमी आई साथ नक्सली क्षेत्रों में बिजली और अन्य सुविधाएं उपलब्ध करने में भी कामयाब रहे।

अगस्त 2013 में राज्य सरकार ने उन्हें पुलिस अधीक्षक कोरिया की जिम्मेदारी सौंपी, जहां पदस्थ रहते हुए विधानसभा चुनाव सफलता पूर्वक सम्पन्न करवाया गया।फरवरी 2014 में इनका तबादला पुलिस अधीक्षक बालोद के पद पर हुए, जहां पदस्थ रहते हुए उन्होंने लोकसभा चुनाव सफलता पूर्वक सम्पन्न कराया।

जून 2014 में उन्हें पुलिस अधीक्षक एसआईबी, पुलिस हेड क्वाटर की जिम्मेदारी सौंपी गई, जहां उन्होंने करीब एक साल तक अपनी सेवाएं दी। अप्रैल 2015 से जुलाई 2015 तक तत्कालीन राज्यपाल बलरामजी दास टंडन के एडीसी (राज्यपाल के परिसहाय) के पद पर पदस्थ रहे।

जुलाई 2015 में भारत सरकार के प्रतिनियुक्ति पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) नईदिल्ली गए। उन्हें चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा क्षेत्र का पुलिस अधीक्षक, सीबीआई की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई। जहां उन्होंने साढ़े तीन साल तक अपनी सेवाएं दी। इस दौरान उन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी कानून के तहत व्यापक अभियान चलाकर भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर ताबड़तोड़ कार्यवाही की। भ्रष्टाचार विरोधी कानून के तहत उन्होंने आईएएस/आईपीएस अधिकारी, एसडीएम, इंडियन रेवेन्यू सर्विस अधिकारी, रेलवे अधिकारी, भारत संचार निगम लिमिटेड के जीएम रैंक के अधिकारी, वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों सहित अन्य कई विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों को सजा दिलवाने में अपनी महती भूमिका निभाई।

देश के बहुचर्चित राम रहीम केस जो कि करीब 18 साल चला। उस केस में भी उन्होंने डेढ़ साल तक काम किया और जब राम रहीम को सजा हुई उस वक्त बतौर सीबीआई पुलिस अधीक्षक मौजूद रहे।

जनवरी 2019 में सीबीआई मुख्यालय, नईदिल्ली में पदस्थ हुए। इस दौरान उन्होंने चाइल्ड पोनोग्राफी पर बड़ी कार्यवाही करते हुए एक साथ 80 जगह रेड कार्यवाही कर कई आरोपियों को एक साथ गिरफ्तार करने में सफल हुए साथ ही आंध्रप्रदेश के सीनियर नेता जो कि चार बार के सांसद और एक्स सीएम के भाई के हत्यारे को गैट पैटर्न एनालिसिस तकनीक से केस सॉल्व करने के सफल हुए।

मई 2022 तक करीब सात साल तक केंद्रीय जांच ब्यूरो में पदस्थ रहने के बाद जुलाई 2022 में पुनः छत्तीसगढ़ वापसी हुई। अगस्त 2022 को राज्य सरकार ने डीआईजी राजनांदगांव के पद पर पदस्थ किया, जहां उन्होंने नवम्बर 2022 तक अपनी सेवाएं दी। नवम्बर 2022 से जुलाई 2023 तक सरगुजा रेंज प्रभारी आईजी रहे। जुलाई 2023 से अक्टूबर 2023 तक डीआईजी रायगढ़ के पद पर पदस्थ रहे।

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद निर्वाचन आयोग ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक को हटाते हुए उन्हें वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दुर्ग की जिम्मेदारी सौंपी। उनके कुशल मार्गदर्शन में दुर्ग जिले में विधानसभा चुनाव संपन्न हुआ। फरवरी 2024 में राज्य सरकार ने उन्हें दुर्ग रेंज प्रभारी पुलिस महानिरीक्षक की जिम्मेदारी सौंपी। जनवरी 2025 में उनका प्रमोशन हुआ और पुलिस महानिरीक्षक बने और वर्तमान में दुर्ग रेंज पुलिस महानिरीक्षक की जिम्मेदारी बहुत जिम्मेदारी के साथ निभा रहे है।

महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह और अपने माता-पिता को अपना आदर्श मानने वाले आईजी रामगोपाल गर्ग को क्रिकेट, टेनिस और म्यूजिक सुनने में विशेष रुचि है। आईजी ने बताया कि बचपन से डीसी साहब, कप्तान साहब सुनने को मिलता था, पता चला कि ऐसा बनने के लिए बड़ी परीक्षा उत्तीर्ण करना पड़ता है, भाई ने भी इसके लिए बहुत प्रेरित किया। पंजाब-हरियाणा के लोगो में रहता चैलेंज स्वीकार करना तो मैने भी ठाना की नौकरी तो बाद में लगेगी पहले यूपीएससी की परीक्षा को पास किया जाए।

आईजी ने कहा कि पुलिस का काम ही है कि वो लोगों के काम आए, लोगों की तकलीफों को दूर करे। सिस्टम में सुधार करे, कानून व्यवस्था बनाए रखना और अपराधियों पर नकेल कसना ही मेरा मुख्य उद्देश्य रहता है।

आईजी रामगोपाल गर्ग द्वारा शुरू किया गया त्रिनयन और सशक्त ऐप अपराधियों को पकड़ने में पुलिस के लिए बहुत उपयोगी साबित हो रही है। इस ऐप के मदद से अभी तक केस सॉल्व किए जा चुके है। इस ऐप का उद्घाटन मुख्यमंत्री द्वारा किया गया था, जिसे पुलिस हेड क्वाटर द्वारा पूरे प्रदेश में लागू किया गया है।

आईजी रामगोपाल गर्ग ने सितंबर 2024 में प्रधानमंत्री सिल्वर कप केस स्टडी प्रतियोगिता 2024 में प्रथम स्थान प्राप्त कर पुरस्कार जीता था। यह प्रतियोगिता राष्ट्रीय स्तर पर नेशनल पुलिस अकादमी हैदराबाद द्वारा आयोजित की गई थी, जिसमें विभिन्न राज्यों के पुलिस अधिकारियों ने भाग लिया था। आईजी द्वारा सायबर प्रहरी अभियान भी चलाया जा रहा है जिसके द्वारा आम लोगों को जोड़कर सायबर ठगी से बचने के लिए जागरूक किया जा रहा है।

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