इसरो आज सुबह अपने 100वें मिशन को लॉन्च कर दिया है। इसरो ने मिशन NVS-02 नेविगेशन सैटेलाइट का प्रक्षेपण किया, जो जीएसएलवी-एफ15 रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश से भेजा गया…
श्रीहरिकोटा (ए)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र के लिए बुधवार का दिन ऐतिहासिक रहा। इसरो ने आज लॉन्च की सेंचुरी लगा दी। आज सुबह ठीक 6 बजकर 23 मिनट पर इसरो श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अपना 100वां मिशन लॉन्च किया। इस ऐतिहासिक मिशन के तहत GSLV-F15 रॉकेट को लॉन्च किया गया, जिसने नेविगेशन सेटेलाइट NVS-02 उपग्रह को सफलतापूर्वक जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित किया।
आज से तकरीबन 4 दशक पहले इसरो के वैज्ञानिकों ने वो दौर भी देखा जब रॉकेट के हिस्सों को बैलगाड़ी और साइकिल के पीछे बांधकर मिशन लॉन्च के लिए ले जाया जाता था, लेकिन आज इसरो ने अंतरिक्ष की दुनिया में खुद को स्थापित कर दिया है।
क्या है NVS-02 मिशन?
- इसरो की 100वीं उड़ान जीएसएलवी-एफ15 रॉकेट की मदद से की गई।
- ये जीएसएलवी श्रृंखला की 17वीं उड़ान थी और यह स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण की 11वीं उड़ान थी।
- इस रॉकेट के साथ एक खास नेविगेशन सेटेलाइट को लॉन्च किया गया है, जो आम इंसान के लिए स्वदेशी GPS सिस्टम में क्रांतिकारी बदलाव लेकर आएगा।
- इसे एनवीएस-02 उपग्रह का नाम दिया गया है। ये भारतीय नेविगेशन प्रणाली (एनएवीआईसी) का हिस्सा है जो दूसरी पीढ़ी का उपग्रह है।
- इसका उद्देश्य भारत और इसके आस-पास 1500 किलोमीटर की दूरी तक सटीक स्थिति, वेग और समय सेवाएं प्रदान करना है।
क्या है इसकी खासियत?
- एनवीएस-02 उपग्रह तकनीकी रूप से अत्याधुनिक है।
- इसका वजन 2,250 किलोग्राम है और यह 3 किलोवाट तक की पावर संभाल सकता है।
- इसमें नेविगेशन के लिए एल1, एल5 और एस बैंड पेलोड शामिल हैं, जो इसकी सेवाओं को और बेहतर बनाएंगे।
- इसके अलावा, यह उपग्रह एल1 फ्रीक्वेंसी बैंड को सपोर्ट करता है, जिससे इसकी विश्वसनीयता में भी वृद्धि होगी।
एनएवीआईसी प्रणाली दो प्रकार की सेवाएं प्रदान करेगी-
- पहली, मानक पोजिशनिंग सेवा (एसपीएस) जो 20 मीटर से बेहतर स्थिति सटीकता और 40 नैनोसेकंड से बेहतर समय सटीकता देगी।
- दूसरी प्रतिबंधित सेवा (आरएस) जो केवल विशेष उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध होगी।
46 वर्षों में 100वें मिशन का सफर
इस मिशन की सफलता इसरो के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। 10 अगस्त 1979 को श्रीहरिकोटा से पहले सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएलवी) मिशन के बाद 46 वर्षों में इसरो 100 मिशनों का एक बड़ा सफर तय किया है। जीएसएलवी-एफ15 और एनवीएस-02 उपग्रह के साथ भारत की नेविगेशन प्रणाली को और मजबूत बनाया जाएगा।