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सामाजिक क्षेत्र में काम करने पर एक सेटिस्फेक्शन मिलता है : कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा

 

दुर्ग (सारनाथ एक्सप्रेस)। भारत में जब भी प्रतिष्ठित सरकारी नौकरियों की बात की जाती है तो भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का नाम सबसे पहले जुबान पर आते हैं, हर युवा की इच्छा होती है कि वह एक आईएएस ऑफिसर बने। आईएएस का पद हासिल करना एक छात्र के लिए बहुत बड़ी चुनौती होती है, लेकिन जो ठान लेता है वह इस गौरवशाली पद को हासिल कर ही लेता है। हम आपको एक ऐसे ही आईएएस अफसर से रूबरू करवा रहे है जो कि अपने पहले ही प्रयास में इस गौरवशाली पद को पाने में सफल हुए जिनका नाम है पुष्पेंद्र कुमार मीणा। ये वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य के वीवीआईपी जिला दुर्ग के कलेक्टर है। कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा हसमुख, मिलनसार व्यक्ति है लेकिन काम को लेकर उतना ही सख्त है। जब भी फरियादी इनसे मिलते है तो उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुनना और उस पर त्वरित कार्यवाही कर उनको राहत दिलाना इनकी विशेषता रहती है। सारनाथ एक्सप्रेस को अपना पहला इंटरव्यू देते हुए अपने अब तक को सफर हमसे साझा किया…

कलेक्टर पुष्पेन्द्र मीणा की प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान के दौसा जिले के घूमना गावँ में हुई थी। कक्षा पहली से छठवीं तक की शिक्षा इन्होंने शासकीय स्कूल से हुई। हायर सेकंडरी तक कि शिक्षा इन्होंने बूंदी, धौलपुर, भरतपुर, जयपुर के स्कूलो में की।
राजस्थान कॉलेज से इन्होंने आर्ट्स (बीए) से स्नातक किया।
एमबीए की पढ़ाई के लिए बंगलुरू गए और वहां इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट (आईआईएम) से एमबीए की डिग्री हासिल कर सिविल सर्विसेज की तैयारियों में जुट गए।
अपने पहले ही प्रयास में इनका चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के लिए हुआ।

2012 बैच में इन्हें छत्तीसगढ़ कैडर मिला, मसूरी ट्रेनिंग के बाद इन्हें पहली पॉटिंग कोरबा जिले के सहायक कलेक्टर के पद पर मिली। उसके बाद इन्हें जशपुर जिले के बगीचा एसडीएम की जिम्मेदारी दी गई। उसके बाद ये करीब दो साल जिला पंचायत सीईओ, महासमुंद के पद पर अपनी सेवाएं दी। उसके बाद इन्हें आईटी डिपार्टमेंट (चिप्स) में मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीओओ) की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके उपरांत इन्हें सीईओ, स्किल डेवलपमेंट और तकनीकी शिक्षा, डायरेक्टर की जिम्मेदारी दी गई। उसके बाद इन्हें कोंडागांव जिले का कलेक्टर बनाया गया, जहाँ इन्होंने करीब दो वर्षों तक अपनी सेवाएं दी। उसके बाद राज्य सरकार ने इन्हें जुलाई 2022 में वीवीआईपी जिला दुर्ग की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी, जिसे ये जिम्मेदारी के साथ निभा रहे है।

आईएएस बनने की प्रेरणा कैसे मिली और कार्य करने का उद्देश्य को लेकर कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा ने बताया कि स्कूली लाइफ में सिर्फ सुनने को मिलता था, कि ये (आईएएस) एक अच्छा ऑप्शन है, जब कॉलेज में आये और समाज और जगहों को देखना चालू किया तो ऐसा मुझे लगा कि एक ऐसी पोजिशन में होनी चाहिए कि जब समाज मे कभी भी कुछ देखो तो उसके लिए कुछ करने की क्षमता उस पोजिशन से आपको आनी चाहिए, जैसा कि हम रोड से गुजरते है और रोड अगर खराब है तो आदमी बुराई करके चला जायेगा, मुझे लगा ऐसा कुछ पोजिशन हो कि आप उसको सुधार सकते हो, अगर आप किसी सरकारी हॉस्पिटल गए वहा लंबी भीड़ लगी हो, ईलाज सही से नही हो रहा है, तो आप ऐसे पोजिशन में हो कि उसको इंप्रूव कर सकते हो। इसके लिए मुझे आईएएस ऑप्शन बहुत अच्छा लगा क्योंकि आप सीधे काम करते हो समाज के लिए, फिर जब मैंने एमबीए किया तो मुझे प्राइवेट सेक्टर के ऑफर मिल गए थे लेकिन मैंने उसको रिजेक्ट कर दिया क्योंकि मुझे वहा काम करके का मोटिवेशन नही आ रहा था। सामाजिक क्षेत्र में काम करने पर एक सेटिस्फेक्शन मिलता है, उसमे काम करने में मजा भी आता है इसलिये मैंने डिसाइट किया कि प्राइवेट सेक्टर छोड़ कर यूपीएससी की तैयारी करूँगा।

ये बात सही निकली, मैंने जो सोचकर था, जिस तरह की उम्मीद थी कि ये बहुत ही अच्छी सर्विसे है, ये एक ऐसा जॉब है कि आप जिस भी फील्ड में चाहो अपना योगदान दे सकते हो। समाज, शिक्षा, स्वास्थ्य सहित हर क्षेत्र में आप अपना योगदान दे सकते है। समाज के किसी भी क्षेत्र में आपका इंटरेस्ट है तो आप उसमे इम्प्रूवमेंट करा सकते हो, जैसी मैने उम्मीद की थी वैसा ही पाया, देश और समाज के लिए काम कर रहा हूँ।

कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा ने बताया कि मेरे हर फील्ड में अलग अलग आदर्श है, जिन्होंने उस फील्ड में अच्छा काम किया है, जैसे समाज के लिए देखा जाए तो महात्मा गांधी, चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह मुझे हमेशा से पसंद रहे है, अगर स्पोर्ट्स में देखेंगे तो सचिन तेंदुलकर मेरे ऑल टाइम फेवरेट रहे है।

गिटार बजाने, ड्राइविंग करने, फोटोग्राफी करने और अपनी छोटी सी बिटिया के साथ खेलने में विशेष रुचि रखने वाले कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा ने बताया कि मेरे पिताजी पहले वकील थे फिर जिला एवं सत्र न्यायालय के जज बने। जिसकी वजह से उनका राजस्थान के अलग अलग जिलों में तबादला होता था, जिनके कारण मेरी पढ़ाई भी वहाँ वहाँ हुई है। माताजी हॉउसवाइफ है।

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