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अच्छे कार्यों के लिए कई सम्मान मिले परंतु इस नौकरी में जरूरतमंदों के लिए काम करके ज्यादा संतुष्टि मिली : गोकुल रावटे

दुर्ग (सारनाथ एक्सप्रेस)। मैं एक कृषक परिवार से हूं, मेरे पिता जी किसान है। मध्यमवर्गीय परिवार से होने के नाते मैं पढ़ाई पूरी करते ही नौकरी के लिए तैयारी शुरू कर दी थी, मेरे दोस्तो ने बताया इंडियन रेलवे सरकारी नौकरी के लिया अच्छा विकल्प है। ये सब बाते दुर्ग जिले में पदस्थ अपर कलेक्टर गोकुल रावटे ने सारनाथ एक्सप्रेस से विशेष बातचीत में कही। इन्होंने अपने अब तक के सफर को हमसे साझा किया…

अपर कलेक्टर गोकुल रावटे की प्रारंभिक शिक्षा (कक्षा आठवीं तक) बालोद जिला (तत्कालीन जिला दुर्ग) के भंडेरा ग्राम के शासकीय विद्यालय में हुई। इन्होंने फरदफोड़ शासकीय स्कूल से हाय स्कूल की शिक्षा प्राप्त की। सुरेगांव शासकीय स्कूल से इन्होंने हायर सेकंडरी की परीक्षा उत्तीर्ण की। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर से इन्होंने स्नातक की शिक्षा पूरी कर शासकीय नौकरी की तैयारी शुरू कर दी। वर्ष 2005 में सलेक्शन इंडियन रेलवे में टेक्नीशियन के पद पर हुआ। रायपुर में पदस्थ रहते हुए वर्ष 2005 से वर्ष 2014 तक इन्होंने अपनी सेवाएं दी। रेलवे में नौकरी करते हुए उन्होंने सीजीपीएससी की तैयारी शुरू की और वर्ष 2011 के सीजीपीएससी में इनका चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ।

इन्हे पहली पोस्टिंग कांकेर जिला में मिली, जहा इन्होंने मार्च 2014 से अप्रैल 2017 तक अपनी सेवाएं दी। अप्रैल 2017 से जून 2022 तक ये बस्तर में पदस्थ रहे। जहां इन्होंने एसडीएम, डिप्टी कलेक्टर, जिला उप निर्वाचन अधिकारी सहित अलग अलग शखाओ में अपनी सेवाएं दी। जून 2022 में राज्य सरकार ने इन्हे बड़ी जिम्मेदारी सौंपते हुए वीवीआईपी जिला दुर्ग में पदस्थ किया, जहां यह जिम्मेदारी के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे है।

खेल और गाना सुनने में विशेष रुचि रखने वाले और अपने माता पिता को अपना आदर्श मानने वाले अपर कलेक्टर गोकुल रावटे ने बताया की पढ़ाई के दौरान दोस्तो ने इंडियन रेलवे में नौकरी के लिया सुझाव दिया जबकि परिवारजनों ने पीएससी के लिए प्रेरित किया। रेलवे में नौकरी के दौरान मैंने महसूस किया की यहां सिर्फ मैं यहां सिर्फ अपने लिए कुछ कर सकता हूं और एक सीमित काम है जबकि मैं देश और समाज के लिए कुछ करना चाहता था, इसलिए भी पीएससी पर ज्यादा फोकस किया।

मैं ज्यादर नक्सली क्षेत्र में पदस्थ रहा, शासन की योजनाओं को आम जनता तक पहुंचाने और उनको उन योजनाओं का लाभ दिलाने का पूरा प्रयास किया, उनकी मूलभूत सुविधाओ की पूर्ति के लिए काम किया। इस नौकरी ने मुझे जीवन में एक विचार दिया की कैसे आप गरीब से गरीब व्यक्ति के लिए अच्छा काम कर सकते है। कांकेर और बस्तर घोर नक्सली क्षेत्र में पदस्थ रहते हुए पिछड़ा क्षेत्र होने के कारण वहा की जनता तक शासन की योजनाएं पहुंचाना बहुत चुनौतीपूर्ण काम रहा, जिस पर हमने अच्छा काम किया। बस्तर और कांकेर नक्सली और ग्रामीण क्षेत्र है वहा की रहन सहन, भाषा, पहनावा अलग है, दुर्ग अर्बन जिला है यहां का परिस्थियां अलग है। समय समय पर शासन द्वारा चुनाव और अन्य अच्छे कार्यों के लिए कई सम्मान मिले परंतु इस नौकरी में जरूरतमंदों के लिए काम करके ज्यादा संतुष्टि मिली।

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