भिलाई। भारतीय संस्कृति में नारी को शक्ति, ममता और त्याग का प्रतीक माना गया है लेकिन समाज में आज भी महिलाओं को समान अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ता है। महिला दिवस हमें यह याद दिलाता है कि महिलाओं को केवल एक दिन नहीं, बल्कि हर दिन सम्मान मिलना चाहिए। महिला दिवस पर हम सभी को महिलाओं के योगदान को सराहना चाहिए और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। महिलाएं घर और बाहर दोनों जगह अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभाती हैं। फिर भी कई जगह उन्हें हीन भावना से देखा जाता है, उनके अधिकारों को दबाया जाता है। पर अब समय बदल रहा है, महिलाएं हर क्षेत्र में सफलता की नई ऊंचाइयों को छू रही हैं। यह सब बातें दुर्ग जिला महिला थाना प्रभारी निरीक्षक श्रद्धा पाठक ने सारनाथ एक्सप्रेस से विशेष बातचीत में कही। उन्होंने अपने अब तक के सफर को हमसे साझा किया।
निरीक्षक श्रद्धा पाठक की कक्षा पांचवीं तक की शिक्षा बाल मुकुंद विद्यालय, सरकंडा (बिलासपुर) में हुई। कक्षा छठवीं से हायर सेकेंडरी तक की शिक्षा उन्होंने शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बिलासपुर से पूरा की। वर्ष 2001 में उन्होंने शासकीय कन्या महाविद्यालय, बिलासपुर से स्नातक की डिग्री हासिल की। वर्ष 2003 में उन्होंने राजनीतिक शास्त्र में स्नातकोत्तर किया।
पढ़ाई पूरा करते ही 2004 से उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में जुट गई। स्टाफ सलेक्शन कमीशन परीक्षा के जरिए उन्होंने सेंट्रल गवर्मेंट में सब इंस्पेक्टर के लिए चयनित हुई, उसके बाद वर्ष 2008 में छत्तीसगढ़ पुलिस के सब इंस्पेक्टर की परीक्षा उत्तीर्ण किया।
वर्ष 2009 में उनकी पहली पोस्टिंग रायगढ़ जिला में हुई, जहां उन्होंने वर्ष 2011 तक अपनी सेवाएं दी। वर्ष 2011 से 2016 तक सूरजपुर जिला में अपनी सेवाएं दी। वर्ष 2017-18 में पुलिस मुख्यालय, रायपुर में पदस्थ रही। वर्ष 2018 में उनका प्रमोशन हुआ और सब इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर बनी। वर्ष 2019 से 2021 तक धमतरी जिला में पदस्थ रही। वर्ष 2022 से अभी तक दुर्ग जिला में अपनी सेवाएं दे रही है। इस दौरान वह अंडा थाना प्रभारी और वर्तमान में महिला थाना प्रभारी के पद पर पदस्थ है।
सभी अच्छे लोग जो अपने से कमजोर लोगों की मदद करते है, उनको अपना आदर्श मानने वाली निरीक्षक श्रद्धा पाठक बच्चों के साथ घूमने, सोशलाइज होने में विशेष रुचि रखती है।
निरीक्षक श्रद्धा पाठक ने कहा कि जो वास्तव में पीड़ित है उनको न्याय मिले, लोगों के साथ न्याय हो काम करने का यही उद्देश्य रहता है। महिलाएं अपने आप पर भरोसा करें, कभी भी समस्याएं देखकर हार ना माने, झूठे दिखावा में कभी नहीं आना चाहिए। विश्वास के साथ आगे बढ़ाना चाहिए और गलत चीजों को नहीं सहना चाहिए। अपने कैरियर पर फोकस करना चाहिए।
पैरेंट्स को भी अपने बच्चों को अपने पैरों पर खड़े होने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि वो सम्मान के साथ जीवन जी सके।
मेरे पिता जी बीएसएनल में जॉब करते थे जो अब रिटायर्ड हो चुके है, उन्होंने हम चारों भाई बहन को पढ़ा लिखकर इस लायक बनाया कि हम सभी शासकीय नौकरी में अपनी सेवाएं दे रहे है।