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भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव को बलौदा बाजार आगजनी कांड में छह माह बाद सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

भिलाई। गुरुवार को विधायक देवेंद्र यादव को सुप्रीम कोर्ट ने बलौदा बाज़ार हिंसा मामले में ज़मानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच ने देवेंद्र यादव की ओर से पेश इस ज़मानत याचिका की सुनवाई की जिसे एडवोकेट सिद्धार्थ देव और एडवोकेट हर्षदीप खुराना ने पेश किया और तर्क दिए थें। भिलाई विधायक देवेंद्र यादव को बलौदा बाज़ार पुलिस ने बीते 18 अगस्त 2024 को भिलाई स्थित निवास से हिरासत में लेकर गिरफ्तार किया था।

ज्ञात हो कि बलौदाबाज़ार में 10 जून 2024 को सतनामी पंथ के विरोध प्रदर्शन में शामिल भीड़ उपद्रवियों में तब्दील हो गई और उपद्रवियों की उस भीड़ ने कलेक्ट्रेट और एसपी ऑफ़िस में आगजनी की। हिंसा पर आमादा भीड़ ने कई वाहनों को जला दिया और हिंसक भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिशें कर रहे पुलिस बल पर हमला किया।

बलौदा बाज़ार पुलिस का दावा है कि, हिंसा और आगजनी जिसमें लोगों को चोटें आईं और करोड़ों की संपत्ति का नुक़सान हुआ, उस हिंसक उपद्रव के षड्यंत्र में विधायक देवेंद्र यादव की भुमिका थी। पुलिस ने इसके पीछे यह आधार बताया कि, भीड़ के हिंसक हमले के ठीक पहले सभा स्थल पर विधायक देवेंद्र यादव पहुँचे थे और मंच के नीचे बैठे थे। बलौदा बाज़ार ना तो विधायक देवेंद्र यादव का विधानसभा क्षेत्र था ना ही बिलासपुर लोकसभा का, जहाँ से देवेंद्र यादव ने लोकसभा का चुनाव लड़ा था।

विधायक देवेंद्र सिंह यादव बलौदा बाज़ार केस में छः महीने जेल में रहे लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि इस जेल यात्रा ने देवेंद्र का राजनीतिक क़द उनके समकालीन नेताओं के बीच बड़ा कर दिया है।

आज भले ही बलौदा बाज़ार कांड में जेल यात्रा विधायक देवेंद्र सिंह यादव का राजनीतिक ग्राफ़ उपर खींच गई है लेकिन हाईकोर्ट में विचाराधीन एक मामला देवेंद्र यादव के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है। यह प्रकरण देवेंद्र सिंह यादव के निर्वाचन को चुनौती देता है, जिसे भिलाई नगर के पूर्व विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेम प्रकाश पांडेय की ओर से दायर किया गया है।

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