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अपने आस पास के लोगो को स्वस्थ और अच्छी जीवन दे सकू यही मेरा प्रयास रहता है: डॉ.पूजा सिन्हा
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अपने आस पास के लोगो को स्वस्थ और अच्छी जीवन दे सकू यही मेरा प्रयास रहता है: डॉ.पूजा सिन्हा

भिलाई। आयुर्वेद विश्व की सबसे प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है, जिसका सम्बन्ध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग मुक्त करने की एक साधन है। सम्पूर्ण आयुर्वेदीय चिकित्सा के आठ अंग माने गए हैं, ये आठ अंग- कायचिकित्सा, शल्यतन्त्र, शालक्यतन्त्र, कौमारभृत्य, अगदतन्त्र, भूतविद्या, रसायनतन्त्र और वाजीकरण है। आयुर्वेदिक चिकित्सा के उपरान्त व्यक्ति की शारीरिक तथा मानसिक दोनों दशाओं में सुधार होता है। आयुर्वेदिक औषधियों के अधिकांश घटक जड़ी-बूटियों, पौधों, फूलों एवं फलों आदि से प्राप्त की जातीं हैं। अतः यह चिकित्सा प्रकृति के निकट है।

आयुर्वेद न केवल रोगों की चिकित्सा करता है बल्कि रोगों को रोकता भी है। आयुर्वेद भोजन तथा जीवनशैली में सरल परिवर्तनों के द्वारा रोगों को दूर रखने के उपाय सुझाता है।
आयुर्वेदिक औषधियाँ स्वस्थ लोगों के लिए भी उपयोगी हैं। यह सब बातें शासकीय आयुर्वेद औषधालय, उमदा भिलाई 03 की चिकित्सा प्रभारी डॉ. पूजा सिन्हा ने सारनाथ एक्सप्रेस से विशेष बातचीत में कही।

डॉ.पूजा सिन्हा की प्रारंभिक और हायर सेकेंडरी तक की शिक्षा डेनोबिली विद्यालय, सिजुआ, धनबाद (झारखंड) से पूरी हुई। वर्ष 1998 में इंट्रेस एग्जाम के जरिए उनका चयन बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में माइक्रो बायोलॉजी में हुआ। उसी बीच उनका चयन बिहार मेडिकल में बीएएमएस के लिए हुआ। राजकीय आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज, पटना से उन्होंने वर्ष 1999 से 2006 तक मेडिकल की पढ़ाई पूरी की। बीएएमएस के प्रथम और द्वितीय वर्ष में उन्होंने टॉप किया। उन्होंने एमडी की तैयारी की और उनका चयन वर्ष 2009-10 में रीवा एवं उदयपुर के आयुर्वेद काॅलेज में एम.डी. पाठयक्रम अध्ययन हेतु हो गया था, परन्तु इसी समय वर्ष 2009 में सीजी पी.एस.सी के जरिए उनका चयन आयुर्वेद मेडिकल ऑफिसर के पद पर छत्तीसगढ़ में हुआ।

वर्ष 2010 में उनकी पहली पोस्टिंग राजनांदगांव जिले में हुई, जहां उन्होंने अगस्त 2011 तक अपनी सेवाएं दी। अगस्त 2011 से वर्तमान तक शासकीय आयुर्वेद औषधालय उमदा भिलाई 03 में अपनी सेवाएं दे रही है। प्राकृतिक परीक्षण अभियान के तहत आयुष विभाग ने राज्य स्तरीय अभियान में द्वितीय पुरस्कर के रूप में मोमेंटो और प्रशस्ति पत्र देकर उनको पुरस्कृत किया है।

वैश्विक महामारी कोविड के दौरान आयुर्वेद चिकित्सा से कई मरीजों से ठीक करने में अपनी अहम भूमिका निभाई। वार्ड ड्यूटी, होम आइसोलेशन और कचांदुर में मरीजों के लिए बने वार्ड में उनकी सेवा की और कई मरीजों को ठीक कर घर वापस भेजा।

म्यूजिक, चिकित्सीय पौधे लगाने और अच्छी किताबें पढ़ने में विशेष रुचि रखने वाली डॉ. पूजा सिन्हा अपने माता-पिता को अपना आदर्श मानती है, उनका कहना है कि माता- पिता के सहयोग की बदौलत आज इस मुकाम तक पहुंच पाई है।
आयुर्वेद मेडिकल ऑफिसर बनने में उनके पति की भी अहम भूमिका रही। उनके पति भी आयुर्वेदिक डॉक्टर है। जामनगर, गुजरात से एमडी गोल्ड मेडलिस्ट है एवं भारती आयुर्वेद काॅलेज, दुर्ग में प्रोफेसर के पद पर है। उन्होंने आयुर्वेद चिकित्सा से कैंसर तक के मरीजों को ठीक किया है।

डॉ. पूजा सिन्हा ने बताया कि आयुर्वेद चिकित्सा हजारों सालों से चलता आ रहा है, हमारे पूर्वज इसी चिकित्सा से इलाज कराया करते थे लेकिन हम इस चिकित्सा को भूलते जा रहे है। हमें इस चिकित्सा का सिर्फ पांच, दस प्रतिशत ज्ञान ही मिल पा रहा है। कई ग्रंथों में आयुर्वेद चिकित्सा का उल्लेख है, अब तो विदेशों में भी इसका चलन शुरू हो गया है। हम अपने स्तर पर इसका प्रचार प्रसार कर रहे है। इस चिकित्सा से मोटापा, हृदय रोग, कैंसर, शुगर जैसे कई गंभीर बीमारियों का इलाज आयुर्वेद चिकित्सा से किया जा रहा है। जिन महिलाओं को शादी के दस वर्ष बाद तक बच्चे नहीं हो पा रहे थे, ऐसे करीब 8 महिलाओं का आयुर्वेद चिकित्सा से इलाज किया गया, उन्हें संतान की प्राप्ति हुई है। पंचकर्म, ऑयलिंग, मसाज, सिकाई, निंद्रा रोग, सहित कई तरह का इलाज यहां किया जा रहा है।

सियान जतन अभियान के तहत 60 साल से ऊपर के मरीजों को घर घर जाकर इलाज करते है। दवाइयों के साथ साथ उनको मानसिक तौर पर तैयार करते है। लोगों के जीवन को आसान कर सके यही उद्देश्य रहता है। मै अपने आस पास के लोगो को स्वस्थ और अच्छी जीवन दे सकू यही मेरा प्रयास रहता है।

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