रिश्तों में खटास आने पर बढ़ते आपराधिक मामले को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। साथ ही इस मामले एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए कहा कि सहमति से बने सभी रिश्ते, जिनमें विवाह का आश्वासन हो सकता है उसे विवाद की स्थिति में शादी के झूठे बहाने के रूप में नहीं देखा जा सकता…
नईदिल्ली (ए)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आपसी रिश्तों में खटास आने पर बढ़ते आपराधिक मामले को लेकर चिंता जताई। साथ ही मामले में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए कहा कि सहमति से बने सभी रिश्ते, जिनमें विवाह का आश्वासन हो सकता है उसे विवाद की स्थिति में शादी के झूठे बहाने के रूप में नहीं देखा जा सकता। कोर्ट ने यह टिप्पणी उस बढ़ती प्रवृत्ति को लेकर की, जिसमें रिश्तों में खटास आने पर लोग आपराधिक कार्यवाही दायर करते हैं।
बता दें कि कोर्ट का यह आदेश उस मामले में आया, जिसमें एक पूर्व न्यायिक अधिकारी पर दुष्कर्म का आरोप लगाया गया था। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि 2014 में, अपने पूर्व पति से विवाद के दौरान वह अपीलकर्ता के संपर्क में आई और अपीलकर्ता ने उसे शादी करने का वादा किया था। हालांकि, जब उसका तलाक हो गया, तो अपीलकर्ता ने उससे संपर्क करना बंद कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भले ही एफआईआर और चार्जशीट में लगाए गए आरोपों को सही माना जाए, लेकिन यह मानना मुश्किल था कि महिला ने केवल शादी के आश्वासन के कारण शारीरिक संबंध बनाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि महिला को इस बात का पूरा पता था कि अपीलकर्ता पहले से शादीशुदा था, हालांकि वह अपनी पत्नी से अलग हो चुका था।
कोर्ट ने इस कानून का दुरुपयोग करार दिया
इसके साथ ही अदालत ने कहा कि इस मामले में शारीरिक संबंध सहमति से हुए थे और इसे दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने इस तरह के मामलों को कानून का दुरुपयोग करार दिया और दोनों पक्षों के लिए परेशानी बढ़ाने वाले मुकदमे को बंद करने का फैसला लिया।